Wednesday, November 18, 2009

बाजारवाद से बचें समाचार पत्र

प्राय: देखा जा रहा है कि अनेक समाचार पत्रों पर बाजारवाद हावी हो गया है और वे आम नागरिक की आवाज को उठाने के प्रयास कम कर रहे हैं। समाचार पत्र सिर्फ़ बड़े नेताओं की खुशामद करने अथवा विज्ञापन दाताओं के हित साधने का माध्यम बन गया है। आज जरूरत है खबरनवीसों को देश और आम आदमी के हित में कम करने की, आज जरूरत है देश में बढ़ते आतंकवाद को दूर करने की दिशा में युवाओं को सही राह दिखने की, आज जरूरत है देश में बढ़ते भ्रष्टाचार की रोकथाम की दिशा में कलम चलाने की, आज जरूरत है काला धंधा गोरे लोग की हकीकत का पर्दाफाश करने की।

3 comments:

Dr.Aditya Kumar said...

very cood approach.

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

---- चुटकी----

राहुल थके
प्रियंका ने
चलाई कार,
अब तो
यह भी है
टीवी लायक
समाचार।

श्रद्धा जैन said...

sach kah rahe hain ..magar kaafi din hue nayi post aaye .. likhna kyun band kar diya ?