Wednesday, November 18, 2009

बाजारवाद से बचें समाचार पत्र

प्राय: देखा जा रहा है कि अनेक समाचार पत्रों पर बाजारवाद हावी हो गया है और वे आम नागरिक की आवाज को उठाने के प्रयास कम कर रहे हैं। समाचार पत्र सिर्फ़ बड़े नेताओं की खुशामद करने अथवा विज्ञापन दाताओं के हित साधने का माध्यम बन गया है। आज जरूरत है खबरनवीसों को देश और आम आदमी के हित में कम करने की, आज जरूरत है देश में बढ़ते आतंकवाद को दूर करने की दिशा में युवाओं को सही राह दिखने की, आज जरूरत है देश में बढ़ते भ्रष्टाचार की रोकथाम की दिशा में कलम चलाने की, आज जरूरत है काला धंधा गोरे लोग की हकीकत का पर्दाफाश करने की।

Tuesday, November 17, 2009

मीडिया कर्मियों की भी हो सुनवाई

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा आम आदमी की समस्याओं को दूर करने के लिए जो जनसुनवाई कार्यक्रम शुरू किया है, वह काबिले तारीफ है। ठीक इसी तरह समाचार पत्रों के संपादकों को भी जनसुनवाई कार्यक्रम शुरू करना चाहिए, जिससे समाचार पत्र से जुड़ा छोटे से छोटा कर्मचारी भी अपनी समस्या को उनके समक्ष रख सके। साथ ही उनके कार्यालय में किस प्रकार गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं, इसकी वास्तविक रिपोर्ट पेश कर सके। इस प्रक्रिया से जहाँ संस्था का लाभ होगा, वहीँ दूसरी तरफ पारदर्शिता भी रहेगी।