देश के प्रमुख अख़बारों के जिला स्तर के कार्यालयों में कर्मचारियों का हो रहा शोषण चिंताजनक है। इस ओर अखबारों के वरिष्ठ अधिकारीयों अथवा संपादकों को ध्यान देना होगा। इन्हें इन कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों से व्यक्तिगत संपर्क कर उनकी समस्याएँ अथवा मांगो से अवगत होना चाहिए, तभी इन कार्यालयों में हो रहे शोषण पर रोक लग सकेगी। कुछेक अख़बारों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांशतः जिला स्तर के कार्यालयों में ब्यूरोचीफ का काफी दबदबा रहता है, जो अपने कर्मचारियों की वरिष्ठ कार्यालयों अथवा अधिकारियों तक सीधा संपर्क न होने का फायदा उठता है और उन्हें अपना अधीनस्थ न मानते हुए अपना घरेलू कर्मचारी समझाता है.
Saturday, October 31, 2009
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