आजकल की दुनिया में अपनी मेहनत का पूरा फल किसी को नहीं मिल पा रहा है
क्योंकि आजकल कुत्ते खीर खा रहे हैं
बदमाशों की ज्यादा पहुँच होती है आम आदमी की नहीं
क्योंकि आजकल पुलिसवाले माल खा रहे हैं
गरीब आदमी की सुनवाई नहीं होती, पैसे वालों की होती है
क्योंकि आजकल देश के पहरेदार ही रिश्वत खा रहे रहें हैं
मीडिया की भूमिका भी संदेह के घेरे मैं हैं
क्योंकि मीडिया विज्ञापनदाताओं के हाथों की कठपुतली बनकर
सामाजिक सरोकार से पल्ला झाड़ रही है
Thursday, June 18, 2009
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