ऐ मालिक तेरे वन्दे हम, ऐसे हों हमारे करम
नेकी पर चलें और बदी से डरें ताकि हंसते हुए निकले दम
ये अँधेरा घना छा रहा, तेरा इंसान घबरा रहा
हो रहा बेखबर, कुछ ना आता नजर, सुख का सूरज छुपा जा रहा
है तेरी रोशनी में जो दम, तो अमावस को कर दे पूनम
बड़ा कमजोर है आदमी, अभी लाखों हैं इसमें कमी
पर तू जो खड़ा, है दयालु बड़ा, तेरी कृपा से धरती थमी
दिया तुने हमें जब जनम, तू ही झेलेगा हम सबके गम
बाद
जब जुल्मों का हो सामना, तब तू ही हमें थामना
वो बुराई करे, हम भलाई भरे, नहीं बदले की हो भावना
उठे प्यार का हर कदम, मिटे बैर का ये भरम
Tuesday, June 16, 2009
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